गुरुवार, 4 जून 2020

झीरम संस्मरण 3

अब तक झीरम कांड में हुए सभी कुछ जामे न्यायिक आयोग में कांग्रेस के अधिवक्ता रहे सुदीप श्रीवास्तव की जुबानी। 

शनिवार, 30 मई 2020

झीरम संस्मरण-3

घटना में घायल लोगों की जुबानी 


झीरम कांड/ जांच आयोग के फैसले के विरोध में राज्य सरकार की याचिका को हाइकोर्ट ने खारिज किया

हाइकोर्ट ने कहा- आयोग अपना फैसला लेने में सक्षम, हस्तक्षेप से किया इनकार

न्यायिक आयोग ने राज्य शासन के 5 गवाहों के आवेदन को निरस्त किया था

भाजपा शासन में जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में आयोग गठित हुआ था

लीगल रपोर्टर बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाइकोर्ट ने 28 जनवरी को झीरम घटना से संबधित राज्य सरकार की अपील याचिका को खारिज कर दिया है। सरकार की ओर से सिंगल बेंच और न्यायिक जांच आयोग के फैसले के विरोध में अपील याचिका लगाई गई थी। हाइकोर्ट ने कहा कि आयोग अपना फैसला लेने में सक्षम है और हस्तक्षेप से इनकार कर दिया। न्यायिक आयोग ने राज्य शासन के 5 गवाहों के आवेदन को निरस्त कर दिया था। सरकार की ओर से आयोग में गवाही देने के लिए आना चाहते थे। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू की डिवीजन बेंच में हुई।


आयोग में अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर को हुई थी


बस्तर के झीरम घाटी में 25 मई 2013 को शाम 4.45 बजे कांग्रेस की परिवर्तन रैली के काफिले पर नक्सलियों ने हमला कर दिया था। हमले में कांग्रेस के शीर्ष नेता महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल, विद्याचरण शुक्ल सहित 33 कांग्रेसी और पुलिस जवानों की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद पूववर्ती भाजपा सरकार ने जस्टिस प्रशांत मिश्रा की अध्यक्षता में न्यायिक जांच आयोग का गठन किया था। आयोग की अंतिम सुनवाई 11 अक्टूबर 2019 को हुई थी। इस दिन शासन के तरफ से नक्सल ऑपरेशन के डीआईजी पी. सुंदरराज ने गवाही दी थी। इसके बाद आयोग ने फैसले‌के लिए दोनों पक्षों को अपना तर्क लिखित में प्रस्तुत करने कहा था। सुनवाई के दौरान आयोग में राज्य शासन की ओर से कांग्रेस के दिवंगत नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा, बेटी तूलिका कर्मा, डॉ. चुलेश्वर चंद्राकर, हर्षद मेहता व सुरेंद्र शर्मा के गवाही के लिए आवेदन दिया गया था। साथ ही गुरिल्लावार स्कूल नक्सली वार फेयर के अधिकारी बीके पोनवार को टेक्निकल एक्सपर्ट के रूप में बुलाए जाने के आवेदन और मौखिक तर्क रखे जाने के आवेदन दिए थे। इन सभी आवेदनों को आयोग ने निरस्त कर दिया। राज्य सरकार ने इस आदेश को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी। 


पहले सिंगल फिर डबल बेंच ने अपील खारिज किया

आयोग के फैसले को राज्य शासन ने हाईकोर्ट में चुनौती दिया। इसमें पहले हाइकोर्ट के जस्टिस पी. सेम कोशी की सिंगल बेंच ने मामले को खारिज की। इसके खिलाफ राज्य शासन हाइकोर्ट चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में अपील याचिका दायर की। मामले में 20 जनवरी को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में अंतिम बहस हुई। दोनों पक्षों का तर्क और बहस सुनने के बाद कोर्ट ने मामले को फैसले के लिए सुरक्षित रख लिया था। 28 जनवरी को कोर्ट राज्य शासन के अपील को खारिज कर दी।